मत होश दिलाओं आज मुझे, नशें मे ही रहेने दो
वक़्त कुछ छूटसा गया शायद पिछे, जरा उसे याद कर लेने दो |
मूड के पिछे जरा देखलू तो, लगता है
अकेला कल भी था और, आज भी अकेला ही हू |
काश मैकदो में मिलती तू, ए ज़िंदगी
खरीद तो लेते तुझे, पर ख़र्च कोई न करता |
शायरी भी अब मेहमां बन चुकी है, शायद ?
होश में रेहता हू तो, ख़्याल तस्सवुर को छूते भी नहीं |
- साहिल
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