खुद की धड़कनों को सुन पाता हूँ,
- साहिल
आखिर वो पल आ ही गया था,
इस वक़्त के बाद हम नहीं मिलेंगे, इस ख़्याल पे ही यकीन करना मुश्किल था।
पर अब, वो लम्हा मेरे सामने था।
Ground floor पे wait करती Cab तक हम साथ पोहंचे। Lift की जगह हम सीढ़ीयोँ से चले? मैंने पूछा था। क्योंकि इसी बहाने तुम्हारे साथ कुछ और पल गुजारके, कुछ आँखरी यादे जमा करना चाह रहा था।
उस शाम भी बारिश हो रही थी ठीक उसी तरह जैसे उस दिन हो रही थी, जब हम पहली बार अचानक मिले थे , बारिश में हम आखरी बार एक छाते में कुछ और कदम साथ चले थे। तुम्हारी dress एक side से थोड़ी भीग गयी थी उस दिन, क्योंकि इस बार तुमने चलते हुए मेरी बाजु को नहीं थामा था।
Car और तुम्हारे दिल का दरवाजा बंद हुआ और तुम चली गयी।
पता नहीं पर क्यूँ ? उस दिन, तुम्हारा चेहरा धुंदलासा दिखाई दे रहा था.
Car की Window पे पानी की बूंदे बहोत थी ? या फिर मेरे आँखों में ?
- साहिल